यही है मानवता की चाह हर बालक का बचपन हो बचपन जैसा। यही है मानवता की चाह हर बालक का बचपन हो बचपन जैसा।
जिये तब भी फल दे मर जाए तब भी साथ निभाए। जिये तब भी फल दे मर जाए तब भी साथ निभाए।
यह सोचा बढ़ गया मैं आगे न देखा सींग था वो ताने देख के मेरी नेकी यह सोचा बढ़ गया मैं आगे न देखा सींग था वो ताने देख के मेरी नेकी
तुम्हारा मुझे यूँ समझाना क्या यही प्यार है। तुम्हारा मुझे यूँ समझाना क्या यही प्यार है।
बाक़ी छोड़ देती हूँ ज़माने के लिए ख़ुशी ढूंढती नहीं मैं मुस्कुराने के लिए। बाक़ी छोड़ देती हूँ ज़माने के लिए ख़ुशी ढूंढती नहीं मैं मुस्कुराने के लिए।
क्या होगा तेरा इस बार जवाब, जब होगा महाकाल का रौद्र हिसाब। क्या होगा तेरा इस बार जवाब, जब होगा महाकाल का रौद्र हिसाब।